" उससे आग्रह करता हूँ कि वह किसी तरह की परेशानी न उठाए। परंतु वह अपने निश्चय पर अडिग है। मैं उसे निराश नहीं करना चाहता इसलिए उसका आग्रह स्वीकार कर लेता हूँ। ‘यह बहुत बुरी बात है कि कोई अतिथि मेरे घर आए और मैं उसे भोजन न करा सकूँ,’ यह कहते हुए वह मुझे छौंके हुए चावल देता है। मैं खिड़की से बाहर देख रहा हूँ। चंद्रमा का मंद प्रकाश अंदर आ रहा है। उसे देखते हुए मैं गाँव के अशिक्षित किसानों के सीधे व सरल स्वभाव और उनकी दयालु प्रवृत्ति के विषय में सोच रहा हूँ। किसी कॉलेज की शिक्षा आदि शहरों में दिखनेवाले चारित्रिक पतन की पूर्ति नहीं कर सकती! "
― Paul Brunton , A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru