" महर्षि के आसपास मौजूद आध्यात्मिक वातावरण और दर्शनशास्त्र से प्रेरित उनकी तार्किक आत्म-विवेचना ही उस पुराने मंदिर में मिल सकती है। उनके मुँह पर कभी “भगवान” शब्द भी नहीं आता। वह प्रतिभा के अंधकारपूर्ण एवं विवादास्पद क्षेत्र से भी दूर रहते हैं क्योंकि यही वह क्षेत्र है जहाँ अति-आशावादी यात्राओं की दुर्घटना होती है। वह लोगों के सामने केवल आत्म-विश्लेषण का सीधा-सा मार्ग रखते हैं जिसका प्राचीन या आधुनिक सिद्धांत और आस्था के बिना अभ्यास किया जा सकता है। इसी मार्ग पर चलकर मनुष्य को सचमुच आत्मज्ञान प्राप्त होता है। "
― Paul Brunton , A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru