Home > Author > Vivekananda >

" इस जगत् रूप मिश्रण में प्रत्येक परमाण दूसरे परमाणुओं से पृथक् हो जाने की चेष्टा कर रहा है, पर दूसरे उसे आबद्ध करके रखे हुए हैं। हमारी पृथ्वी सूर्य से दूर भागने की चेष्टा कर रही है तथा चंद्रमा, पृथ्वी से। प्रत्येक वस्तु अनंत विस्तारोन्मुख है। "

Vivekananda , Karma Yoga: the Yoga of Action


Image for Quotes

Vivekananda quote : इस जगत् रूप मिश्रण में प्रत्येक परमाण दूसरे परमाणुओं से पृथक् हो जाने की चेष्टा कर रहा है, पर दूसरे उसे आबद्ध करके रखे हुए हैं। हमारी पृथ्वी सूर्य से दूर भागने की चेष्टा कर रही है तथा चंद्रमा, पृथ्वी से। प्रत्येक वस्तु अनंत विस्तारोन्मुख है।