" अगर आप विचार की सारी खोजों और गतिविधियों को, इसके भय, सुखों और संस्कारों को देखने, सुनने और समझने लग जायें, अगर आप अपने मस्तिष्क का निरीक्षण करने लग जायें कि यह किस तरह कार्य करता है, तो आप देखेंगे कि मस्तिष्क असाधारण रूप से शांत, मौन हो जाता है। यह शांति निद्रा नहीं है बल्कि यह प्रचंड रूप से सक्रिय है और इसीलिए शांत है। विद्युत उत्पन्न करने वाला एक बड़ा यंत्र जब अच्छी तरह कार्य करता है तो इससे शायद ही कोई ध्वनि निकलती हो। ध्वनि और शोर-गुल तभी पैदा होता है जब कहीं घर्षण होता है। "
― J. Krishnamurti , Meditations