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" इसमें कोई जादूगरी नहीं है, प्रभु,’ दक्ष ने व्याख्या की, ‘असल में हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया सोमरस इसे संभव करता है। वही सोमरस जो देवता लोग पीते हैं। उपयुक्त समय पर सोमरस का पान न केवल हमारी मृत्यु को बहुत अधिक स्थगित कर देता है बल्कि यह हमें समस्त जीवन युवा बनकर जीने की शक्ति भी प्रदान करता है, मानसिक एवं शारीरिक रूप से।’ ‘किंतु यह सोमरस क्या है? वह कहां से आता है? इसका आविष्कार किसने किया है?’ ‘बहुत सारे प्रश्न प्रभु,’ दक्ष मुस्कुराया, ‘किंतु मैं प्रयत्न करूंगा कि एक-एक करके आपके प्रश्नों के उत्तर दे सकूं। सोमरस का आविष्कार भारत के महानतम वैज्ञानिकों में से एक ने कई सहस्रों वर्ष पहले किया था। उनका नाम था भगवान ब्रह्मा।’ ‘मेरे विचार से मेरु नामक स्थल पर देवगिरि की यात्रा करते समय मैं एक मंदिर में गया था जो उनका ही था।’ ‘जी हां, प्रभु। यह वही स्थान है जहां कथित रूप से उन्होंने निवास किया था और अपना कार्य किया था। भगवान ब्रह्मा एक सफल आविष्कारक थे। किंतु उन्होंने अपने आविष्कार का खुद के लिए कभी उपयोग नहीं किया। वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके आविष्कार मानव जाति की अच्छाई के लिए प्रयुक्त हों। उन्हें पूर्व से ही आभास था कि सोमरस जैसे शक्तिशाली पेय का दुष्ट लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता था। अत: उन्होंने इसके प्रयोग के लिए विस्तृत प्रकार के नियंत्रणों की व्यवस्था की थी। "

Amish Tripathi , The Immortals of Meluha (Shiva Trilogy, #1)


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Amish Tripathi quote : इसमें कोई जादूगरी नहीं है, प्रभु,’ दक्ष ने व्याख्या की, ‘असल में हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया सोमरस इसे संभव करता है। वही सोमरस जो देवता लोग पीते हैं। उपयुक्त समय पर सोमरस का पान न केवल हमारी मृत्यु को बहुत अधिक स्थगित कर देता है बल्कि यह हमें समस्त जीवन युवा बनकर जीने की शक्ति भी प्रदान करता है, मानसिक एवं शारीरिक रूप से।’ ‘किंतु यह सोमरस क्या है? वह कहां से आता है? इसका आविष्कार किसने किया है?’ ‘बहुत सारे प्रश्न प्रभु,’ दक्ष मुस्कुराया, ‘किंतु मैं प्रयत्न करूंगा कि एक-एक करके आपके प्रश्नों के उत्तर दे सकूं। सोमरस का आविष्कार भारत के महानतम वैज्ञानिकों में से एक ने कई सहस्रों वर्ष पहले किया था। उनका नाम था भगवान ब्रह्मा।’ ‘मेरे विचार से मेरु नामक स्थल पर देवगिरि की यात्रा करते समय मैं एक मंदिर में गया था जो उनका ही था।’ ‘जी हां, प्रभु। यह वही स्थान है जहां कथित रूप से उन्होंने निवास किया था और अपना कार्य किया था। भगवान ब्रह्मा एक सफल आविष्कारक थे। किंतु उन्होंने अपने आविष्कार का खुद के लिए कभी उपयोग नहीं किया। वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके आविष्कार मानव जाति की अच्छाई के लिए प्रयुक्त हों। उन्हें पूर्व से ही आभास था कि सोमरस जैसे शक्तिशाली पेय का दुष्ट लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता था। अत: उन्होंने इसके प्रयोग के लिए विस्तृत प्रकार के नियंत्रणों की व्यवस्था की थी।