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" एक खँडहर के हृदय-सी,एक जंगली फूल-सी
आदमी की पीर गूँगी ही सही, गाती तो है "

Dushyant Kumar , साये में धूप [Saaye mein Dhoop]


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Dushyant Kumar quote : एक खँडहर के हृदय-सी,एक जंगली फूल-सी<br />आदमी की पीर गूँगी ही सही, गाती तो है