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" मैं उनका आदर्श, कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे,

पूछेगा जग; किंतु, पिता का नाम न बोल सकेंगे.

जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा,

मन में लिए उमंग जिन्हें चिर-काल कलपना होगा.


'मैं उनका आदर्श, किंतु, जो तनिक न घबरायेंगे,

निज चरित्र-बल से समाज मे पद-विशिष्ट पायेंगे,

सिंहासन ही नहीं, स्वर्ग भी उन्हें देख नत होगा,

धर्म हेतु धन-धाम लुटा देना जिनका व्रत होगा.

4th Sarg from Rashmirathi "

Ramdhari Singh 'Dinkar'


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Ramdhari Singh 'Dinkar' quote : मैं उनका आदर्श, कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे,<br /><br />पूछेगा जग; किंतु, पिता का नाम न बोल सकेंगे.<br /><br />जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा,<br /><br />मन में लिए उमंग जिन्हें चिर-काल कलपना होगा.<br /><br /><br />'मैं उनका आदर्श, किंतु, जो तनिक न घबरायेंगे,<br /><br />निज चरित्र-बल से समाज मे पद-विशिष्ट पायेंगे,<br /><br />सिंहासन ही नहीं, स्वर्ग भी उन्हें देख नत होगा,<br /><br />धर्म हेतु धन-धाम लुटा देना जिनका व्रत होगा.<br /><br />4th Sarg from Rashmirathi