" एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं। "
― Divya Prakash Dubey , मसाला चाय