Home > Author > Vishnu Sakharam Khandekar >

" सच तो यही है कि इस संसार में हर कोई केवल अपने लिए ही जिया करता है। मनुष्य सुख के लिए अपने निकट के लोगों का सहारा ठीक उसी तरह खोजते हैं जैसे वृक्षलताओं की जड़ें पास की आर्द्रता की ओर मुड़ जाती हैं। इसी झुकाव को दुनिया कभी प्रेम कहती है कभी प्रीति, तो कभी मैत्री। लेकिन वास्तव में वह होता है आत्मप्रेम ही। एक तरफ की आर्द्रता नष्ट होते ही पेड़-पौधे सूख नहीं जाते हैं उनकी जड़ें किसी और आर्द्रता की खोज में दूसरी ओर मुड़ जाती हैं–वह आर्द्रता नज़दीक हो या दूर–और उसे खोजकर वे फिर से लहलहाने लगते है। "

Vishnu Sakharam Khandekar , Yayati: A Classic Tale of Lust


Image for Quotes

Vishnu Sakharam Khandekar quote : सच तो यही है कि इस संसार में हर कोई केवल अपने लिए ही जिया करता है। मनुष्य सुख के लिए अपने निकट के लोगों का सहारा ठीक उसी तरह खोजते हैं जैसे वृक्षलताओं की जड़ें पास की आर्द्रता की ओर मुड़ जाती हैं। इसी झुकाव को दुनिया कभी प्रेम कहती है कभी प्रीति, तो कभी मैत्री। लेकिन वास्तव में वह होता है आत्मप्रेम ही। एक तरफ की आर्द्रता नष्ट होते ही पेड़-पौधे सूख नहीं जाते हैं उनकी जड़ें किसी और आर्द्रता की खोज में दूसरी ओर मुड़ जाती हैं–वह आर्द्रता नज़दीक हो या दूर–और उसे खोजकर वे फिर से लहलहाने लगते है।