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" तेरे हाथों में है मेरी डोर,
तेरे बिन मेरे जीवन का न कोई ओर न कोई छोर,
तू ही आदि, तू ही अनंत,
तू ही इस मिथ्या जगत का एक मात्र सत्य।
तुझसे दूर चाह के भी न जा सकूँ,
कोई भी डगर लूँ,
कोई भी राह पकडू,
आखिर पहुँचू तुझ तक ही।
सच कहूँ?
अच्छा लगता है मुझे तेरे हाथों की कठपुतली होना!
निश्चिंत हूँ मैं,
के जो हुआ अच्छा हुआ,
जो हो रहा है अच्छा है और जो होगा अच्छा होगा।
क्यूंकि,
नाज़ुक धागे मेरे इस नन्ही सी ज़िंदगी के
लिपटे हैं तेरी सर्वव्याप्त सर्व शक्तिशाली उंगलियो से,
तो चलायेगा तू जिधर उधर ही चल दूँगी,
तेरा रचा खेल,
तेरे दिये सुख और संघर्ष,
तेरे बुने ये रेशमी जाल,
मनमोहक हैं,
और ये जीवन ये तो बस इंतज़ार है मेरा,
अपने अस्तित्व के तुझमे फिर से वापस जा मिलने का! "

Deeksha Tripathi , कुछ अनकहे एहसास


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Deeksha Tripathi quote : तेरे हाथों में है मेरी डोर, <br />तेरे बिन मेरे जीवन का न कोई ओर न कोई छोर, <br />तू ही आदि, तू ही अनंत, <br />तू ही इस मिथ्या जगत का एक मात्र सत्य। <br />तुझसे दूर चाह के भी न जा सकूँ, <br />कोई भी डगर लूँ, <br />कोई भी राह पकडू, <br />आखिर पहुँचू तुझ तक ही। <br />सच कहूँ? <br />अच्छा लगता है मुझे तेरे हाथों की कठपुतली होना! <br />निश्चिंत हूँ मैं, <br />के जो हुआ अच्छा हुआ,<br />जो हो रहा है अच्छा है और जो होगा अच्छा होगा। <br />क्यूंकि, <br />नाज़ुक धागे मेरे इस नन्ही सी ज़िंदगी के<br />लिपटे हैं तेरी सर्वव्याप्त सर्व शक्तिशाली उंगलियो से, <br />तो चलायेगा तू जिधर उधर ही चल दूँगी, <br />तेरा रचा खेल, <br />तेरे दिये सुख और संघर्ष, <br />तेरे बुने ये रेशमी जाल, <br />मनमोहक हैं, <br />और ये जीवन ये तो बस इंतज़ार है मेरा,<br />अपने अस्तित्व के तुझमे फिर से वापस जा मिलने का!