Home > Author > Ravish Kumar >

" दोनों की मुलाक़ात छत्तरपुर के मन्दिर में हुई। मगर अच्छा लगता था उन्हें जामा मस्जिद में बैठना। इतिहास से साझा होने के बहाने वर्तमान का यह एकान्त। ‘करीम’ से खाकर दोनों मस्जिद की मीनार पर ज़रूर चढ़ते। भीतर के सँकरे रास्ते से होते हुए ऊँचाई से दिल्ली देखने का डर और हाथों को पकड़ लेने का भरोसा। स्पर्श की यही ऊर्जा दोनों को शहरी बना रही थी। चलते-चलते टकराने की जगह भी तो बहुत नहीं दिल्ली में! "

Ravish Kumar , इश्क में शहर होना


Image for Quotes

Ravish Kumar quote : दोनों की मुलाक़ात छत्तरपुर के मन्दिर में हुई। मगर अच्छा लगता था उन्हें जामा मस्जिद में बैठना। इतिहास से साझा होने के बहाने वर्तमान का यह एकान्त। ‘करीम’ से खाकर दोनों मस्जिद की मीनार पर ज़रूर चढ़ते। भीतर के सँकरे रास्ते से होते हुए ऊँचाई से दिल्ली देखने का डर और हाथों को पकड़ लेने का भरोसा। स्पर्श की यही ऊर्जा दोनों को शहरी बना रही थी। चलते-चलते टकराने की जगह भी तो बहुत नहीं दिल्ली में!