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" यादों के क़िस्से।

ऐसे तो तेरे जुदा होने के पलों में भी मेरे दिल की सांसें ऊपर नीचे होती रहती है
लेकिन मिलने की ख़ुशी में कितनी बेचैन रहती हूँ ये तुम्हें भी पता है
लेकिन सच कहूँ तो तुमसे ज़्यादा तुम्हारी यादों में रहना अच्छा लगता है , क्योंकि जब भी मिलते है तब थोड़े ही पलों में जुदा हो जाते हैं।
वहीं तुम्हारी याद मेरे हर पल में मेरा साथ देती है।
तुम्हारी याद मेरे लिए ताजगी होती हैं।
तुम्हारी याद मेरी साँस है।
तुम्हारी याद मेरी ज़िंदगी की उदास पलों में भी मुझे हँसने का बहाना देती है।
हर पल लगता है की तु मेरे कहीं आस पास हो।
खुली आँखों से दिखता है ये सपना सच है या फिर तुम कोई आभास हो ।

लेकिन सच तो यही है कि हक़ीक़त हो या आभास जो भी है मुझे बोहोत पसंद है।
क्योंकि इस सपने में तू ही तू है।
लोग कहते हैं कि नींद का आना क़ुदरत का वरदान है और नींद न आना अभिशाप है ।
लेकिन अगर मुझे जो तुम्हारी याद की हर एक पल में जीने की इजाज़त मिले , तो मैं कर दूँ नींद को भी अपने आप से परे।
और खोई रहूँ तुम्हारे ही सपनों में।

अब हर एक मौसम भी करवट बदल रहा है , क्योंकि इस महके हुए आकाश में भी तेरा अंश कही छलक रहा है।
जानते हो कहीं न कहीं तुम्हारी वो मुस्कान को अपनी नींद में लेकर मैं सोती हूँ ।ऐसे ही तो तुम मेरे सपनों में आकर मेरी साँसों को भी नई धड़कन दे कर जाते हो।
बस तुम्हारा नाम लिखा ही था कि मेरी आंखें भर आयी है आगे
के कैसे लिखूँ मैं अपनी यादों की कविता, कैसे उतारू मैं अपनी क़लम के काग़ज़ के आगे।
सुख के सारे वो पल लिखूं
या जुदाई के सारे वो ग़म लिखूँ।
जुदाई कि वो हर पल लिखना चाहूँ ,तब दिल मेरा हाथ रोके
बार बार अक्षरों को मिटाते हुए हो गया मेरा काग़ज़ भी पूरा , और कहें मुझ से क्यों न लिख पाए तुम अपने जुदाई वाले यादों के क़िस्से।
अब जब लिखा नाम तुम्हारा कहीं
तो महेक उठा मेरा कागज़ भी पुराना अभी ।
जैसे ही सपनों में आया हो अलग सा ही उजाला कहीं।

आख़िरी रास्ता बन के मिल मुझे
बस एक तू ही है आधार ये भी तो पता है तुम्हें
जान ले तू ये समय की हर चाल को
बस मेरी ज़िंदगी के हर एक पल में बसा है तू मेरी धड़कन बन के। "

Shraddha Dave


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Shraddha Dave quote : यादों के क़िस्से।<br /><br />ऐसे तो तेरे जुदा होने के पलों में भी मेरे दिल की सांसें ऊपर नीचे होती रहती है<br />लेकिन मिलने की ख़ुशी में कितनी बेचैन रहती हूँ ये तुम्हें भी पता है<br />लेकिन सच कहूँ तो तुमसे ज़्यादा तुम्हारी यादों में रहना अच्छा लगता है , क्योंकि जब भी मिलते है तब थोड़े ही पलों में जुदा हो जाते हैं।<br />वहीं तुम्हारी याद मेरे हर पल में मेरा साथ देती है।<br />तुम्हारी याद मेरे लिए ताजगी होती हैं।<br />तुम्हारी याद मेरी साँस है।<br />तुम्हारी याद मेरी ज़िंदगी की उदास पलों में भी मुझे हँसने का बहाना देती है।<br />हर पल लगता है की तु मेरे कहीं आस पास हो।<br />खुली आँखों से दिखता है ये सपना सच है या फिर तुम कोई आभास हो ।<br /><br />लेकिन सच तो यही है कि हक़ीक़त हो या आभास जो भी है मुझे बोहोत पसंद है।<br />क्योंकि इस सपने में तू ही तू है।<br />लोग कहते हैं कि नींद का आना क़ुदरत का वरदान है और नींद न आना अभिशाप है ।<br />लेकिन अगर मुझे जो तुम्हारी याद की हर एक पल में जीने की इजाज़त मिले , तो मैं कर दूँ नींद को भी अपने आप से परे।<br />और खोई रहूँ तुम्हारे ही सपनों में।<br /><br />अब हर एक मौसम भी करवट बदल रहा है , क्योंकि इस महके हुए आकाश में भी तेरा अंश कही छलक रहा है।<br />जानते हो कहीं न कहीं तुम्हारी वो मुस्कान को अपनी नींद में लेकर मैं सोती हूँ ।ऐसे ही तो तुम मेरे सपनों में आकर मेरी साँसों को भी नई धड़कन दे कर जाते हो।<br />बस तुम्हारा नाम लिखा ही था कि मेरी आंखें भर आयी है आगे<br />के कैसे लिखूँ मैं अपनी यादों की कविता, कैसे उतारू मैं अपनी क़लम के काग़ज़ के आगे।<br />सुख के सारे वो पल लिखूं<br />या जुदाई के सारे वो ग़म लिखूँ।<br />जुदाई कि वो हर पल लिखना चाहूँ ,तब दिल मेरा हाथ रोके <br />बार बार अक्षरों को मिटाते हुए हो गया मेरा काग़ज़ भी पूरा , और कहें मुझ से क्यों न लिख पाए तुम अपने जुदाई वाले यादों के क़िस्से।<br />अब जब लिखा नाम तुम्हारा कहीं<br />तो महेक उठा मेरा कागज़ भी पुराना अभी ।<br />जैसे ही सपनों में आया हो अलग सा ही उजाला कहीं।<br /><br />आख़िरी रास्ता बन के मिल मुझे<br />बस एक तू ही है आधार ये भी तो पता है तुम्हें<br />जान ले तू ये समय की हर चाल को<br />बस मेरी ज़िंदगी के हर एक पल में बसा है तू मेरी धड़कन बन के।